Woensdag 08 Junie 2016

bholu pandit saray jajau

i am bhola from saray jajau
i living gurgoan

saray jajau saiya agra

ोची का लालचकिसी गाँव में एक धनी सेठ रहता था। उसके बंगले के पास एक जूते सिलने वाले गरीब मोची की छोटी सी दुकानथी। उस मोची की एक खास आदत थी कि जो जब भी जूते सिलता तो भगवान के भजन गुनगुनाता रहता था। लेकिन सेठ ने कभी उसके भजनों की तरफ ध्यान नहीं दिया । एक दिन सेठ व्यापार के सिलसिले में विदेश गया और घर लौटते वक्त उसकी तबियत बहुत ख़राब हो गयी । लेकिन पैसे की कोई कमी तो थी नहीं सो देश विदेशों से डॉक्टर, वैद्य, हकीमों को बुलाया गया लेकिन कोई भी सेठ की बीमारी का इलाज नहीं कर सका । अब सेठ की तबियत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही थी। वह चल फिरभी नहीं पाता था , एक दिन वह घर में अपने बिस्तर पे लेटा था अचानक उसके कान में मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी,आज मोची के भजन कुछ अच्छे लग रहे थे सेठ को, कुछ ही देर में सेठ इतना मंत्र मुग्ध हो गयाकि उसे ऐसा लगा जैसे वो साक्षात परमात्मा से मिलन कर रहा हो।मोची के भजन सेठ को उसकी बीमारी से दूर लेते जा रहे थे। कुछ देर के लिए सेठ भूल गया कि वह बीमार है उसे अपार आनंद की प्राप्ति हुई । कुछ दिन तक यही सिलसिला चलता रहा, अब धीरे धीरे सेठ के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा।एक दिन उसने मोची को बुलाया और कहा:- मेरी बीमारी का इलाज बड़े बड़े डॉक्टर नहीं कर पाये लेकिन तुम्हारे भजन ने मेरा स्वास्थ्य सुधार दिया। ये लो1000 रुपये इनाम, मोची खुश होते हुए पैसे लेकर चला गया । लेकिन उस रात मोची को बिल्कुल नींद नहीं आई वो सारी रात यही सोचता रहा कि इतने सारे पैसों को कहाँ छुपा कर रखूं और इनसे क्या क्या खरीदना है ?इसी सोच की वजह से वो इतना परेशान हुआ कि अगले दिन काम पे भी नहीं जा पाया। अब भजन गाना तो जैसे वो भूलही गया था, मन में खुशी थी पैसे की।अब तो उसने काम पर जाना ही बंद कर दिया और धीरे धीरेउसकी दुकानदारी भी चौपट होने लगी । इधर सेठ की बीमारी फिर से बढ़ती जा रही थी ।एक दिन मोची सेठ के बंगले में आया और बोला सेठ जी आप अपने ये पैसे वापस रख लीजिये, इस धन की वजह से मेरा धंधा चौपट हो गया, मैं भजन गाना ही भूल गया। इस धन ने तो मेरा परमात्मा से नाता ही तुड़वा दिया। मोची पैसे वापस करके फिर से अपने काम में लग गया ।मित्रों ये एक कहानी मात्र नहीं है ये एक सीख है कि किस तरह हम पैसों का लालच हमको अपनों से दूर ले जाता है, हम भूल जाते हैं कि कोई ऐसी शक्ति भी है जिसने हमें बनाया है। आज के माहौल में ये सब बहुत देखते को मिलता है लोग 24 घंटे सिर्फ जॉब की बात करते हैं, बिज़निस की बात करते हैं, पैसों की बात करते हैं। हालाँकि धन जीवन यापन के लिए बहुत जरुरी है लेकिन उसके लिए अपने अस्तित्व को भूल जाना मूर्खता ही है।आप खूब पैसा कमाइए लेकिन साथ ही साथ अपने माता -पिता की सेवा करिये , दूसरों के हित की बातें सोचिये और भगवान का स्मरण करिये यही इस कहानी की शिक्षा है.

Maandag 23 Mei 2016

"मुझसे दोस्त नहीं बदले जाते, चाहे लाख दूरी होने पर, यहाँ लोगों के भगवान बदल जाते हैं, एक मुराद ना पूरी होने पर।"

"मुझसे दोस्त नहीं बदले जाते, चाहे लाख दूरी होने पर, यहाँ लोगों के भगवान बदल जाते हैं, एक मुराद ना पूरी होने पर।"

Dinsdag 10 Mei 2016

bineetpathak7861@

पति के घर में प्रवेश करते ही पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा : पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता कीया, वहाँ भी नहीं पहुँचे ! मामला क्या है ? “वो-वो… मैं…” पती की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, बोलते नही ? कहां चले गये थे ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये ? वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था। पती थोड़ी हिम्मत करके बोला क्या कहा? तुम मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हें क्या तकलीफ है? आग बबूला थी पत्नी! उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता तुम समझ क्यों नहीं रही । पती ने दबी जुबान से कहा । क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है ? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ ! पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था अब ये हमारे पास ही रहेगी पति ने कठोरता अपनाई । मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ । वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महा रानी जी को भी यहाँ आते जरा सी भी लाज नहीं आई ? कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी ! झेंपते हुए पत्नी बोली: “मां, तुम ?” हाँ बेटा ! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया । दामाद जी को फोन कीया, तो ये मुझे यहां ले आये । बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गगद नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली । आप भी बड़े वो हो, डार्लिंग ! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे ? इस मैसेज को इतना शेयर करो, कि हर औरत तक पहुंच सके ! कि माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी? ये मैसेज आपको जितनी बार भी मिले आप हर बार फारवरड करते जाओ 🙏🙏🙏🙏🙏

पति के घर में प्रवेश करते ही पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा : पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता कीया, वहाँ भी नहीं पहुँचे ! मामला क्या है ? “वो-वो… मैं…” पती की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, बोलते नही ? कहां चले गये थे ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये ? वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था। पती थोड़ी हिम्मत करके बोला क्या कहा? तुम मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हें क्या तकलीफ है? आग बबूला थी पत्नी! उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता तुम समझ क्यों नहीं रही । पती ने दबी जुबान से कहा । क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है ? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ ! पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था अब ये हमारे पास ही रहेगी पति ने कठोरता अपनाई । मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ । वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महा रानी जी को भी यहाँ आते जरा सी भी लाज नहीं आई ? कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी ! झेंपते हुए पत्नी बोली: “मां, तुम ?” हाँ बेटा ! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया । दामाद जी को फोन कीया, तो ये मुझे यहां ले आये । बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गगद नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली । आप भी बड़े वो हो, डार्लिंग ! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे ? इस मैसेज को इतना शेयर करो, कि हर औरत तक पहुंच सके ! कि माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी? ये मैसेज आपको जितनी बार भी मिले आप हर बार फारवरड करते जाओ 🙏🙏🙏🙏🙏


पति के घर में प्रवेश करते ही पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा : पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता कीया, वहाँ भी नहीं पहुँचे ! मामला क्या है ? “वो-वो… मैं…” पती की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, बोलते नही ? कहां चले गये थे ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये ? वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था। पती थोड़ी हिम्मत करके बोला क्या कहा? तुम मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हें क्या तकलीफ है? आग बबूला थी पत्नी! उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता तुम समझ क्यों नहीं रही । पती ने दबी जुबान से कहा । क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है ? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ ! पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था अब ये हमारे पास ही रहेगी पति ने कठोरता अपनाई । मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ । वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महा रानी जी को भी यहाँ आते जरा सी भी लाज नहीं आई ? कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी ! झेंपते हुए पत्नी बोली: “मां, तुम ?” हाँ बेटा ! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया । दामाद जी को फोन कीया, तो ये मुझे यहां ले आये । बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गगद नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली । आप भी बड़े वो हो, डार्लिंग ! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे ? इस मैसेज को इतना शेयर करो, कि हर औरत तक पहुंच सके ! कि माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी? ये मैसेज आपको जितनी बार भी मिले आप हर बार फारवरड करते जाओ 🙏🙏🙏🙏🙏


Sondag 08 Mei 2016

hello

hello mai bineet pathak i live in saray jajau aap kaha ke ho